स्नेह कोई दे अगर तो
स्नेह बढ़कर दीजिये
जंग को ललकार दे तो
जंग पथ पर कूदिये।
सीधा सरल रहना है तब तक
जब तलक समझे कोई
अन्यथा चालाकियों में
मन कड़ा सा कीजिये।
गर कोई सम्मान दे तो
आप दुगुना दीजिये,
गर कोई अपमान दे तो
याद रब को कीजिये।
गर कोई सहयोग दे तो
आप भी कुछ कीजिये,
हो उपेक्षा भाव जिस पथ
त्याग वह पथ दीजिये।
देखिए उस ओर मत
मुड़कर जहाँ हो दर्द भारी,
ना भले की ना बुरे की
चाह ही तज दीजिये।