स्नेह बढ़कर दीजिये
स्नेह कोई दे अगर तो
स्नेह बढ़कर दीजिये
जंग को ललकार दे तो
जंग पथ पर कूदिये।
सीधा सरल रहना है तब तक
जब तलक समझे कोई
अन्यथा चालाकियों में
मन कड़ा सा कीजिये।
गर कोई सम्मान दे तो
आप दुगुना दीजिये,
गर कोई अपमान दे तो
याद रब को कीजिये।
गर कोई सहयोग दे तो
आप भी कुछ कीजिये,
हो उपेक्षा भाव जिस पथ
त्याग वह पथ दीजिये।
देखिए उस ओर मत
मुड़कर जहाँ हो दर्द भारी,
ना भले की ना बुरे की
चाह ही तज दीजिये।
वाह बहुत खूब सराहनीय रचना
सादर धन्यवाद
स्नेह कोई दे अगर तो
स्नेह बढ़कर दीजिये
जंग को ललकार दे तो
जंग पथ पर कूदिये।
_____________ अत्यंत सुंदर कविता है, जीवन की सच्चाइयों का सुंदर संदेश देती हुई कवि सतीश जी की बेहद शानदार रचना, बहुत सुंदर भाव से रची गई और सुंदर शिल्प द्वारा चार चाॅंद लगाती हुई संपूर्ण कविता एक सुखद संदेश देती है, लाजवाब अभिव्यक्ति और अति उत्तम लेखन
बहुत ही प्रेरक समीक्षा। अति उत्तम लेखनी। बहुत बहुत धन्यवाद गीता जी
कवि सतीश पाण्डेय जी की अत्यंत सुंदर कविता, गजब का लेखन
आपको बहुत बहुत धन्यवाद व सादर अभिवादन
कवि पाण्डेय जी की श्रेष्ठ और अद्भुत कविता, वाह सर लाजवाब
प्रेरक टिप्पणी हेतु बहुत बहुत धन्यवाद सर। अभिवादन
बहुत खूब
सुंदर है पंक्तियां