स्नेह बढ़कर दीजिये

स्नेह कोई दे अगर तो
स्नेह बढ़कर दीजिये
जंग को ललकार दे तो
जंग पथ पर कूदिये।
सीधा सरल रहना है तब तक
जब तलक समझे कोई
अन्यथा चालाकियों में
मन कड़ा सा कीजिये।
गर कोई सम्मान दे तो
आप दुगुना दीजिये,
गर कोई अपमान दे तो
याद रब को कीजिये।
गर कोई सहयोग दे तो
आप भी कुछ कीजिये,
हो उपेक्षा भाव जिस पथ
त्याग वह पथ दीजिये।
देखिए उस ओर मत
मुड़कर जहाँ हो दर्द भारी,
ना भले की ना बुरे की
चाह ही तज दीजिये।

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Responses

  1. स्नेह कोई दे अगर तो
    स्नेह बढ़कर दीजिये
    जंग को ललकार दे तो
    जंग पथ पर कूदिये।
    _____________ अत्यंत सुंदर कविता है, जीवन की सच्चाइयों का सुंदर संदेश देती हुई कवि सतीश जी की बेहद शानदार रचना, बहुत सुंदर भाव से रची गई और सुंदर शिल्प द्वारा चार चाॅंद लगाती हुई संपूर्ण कविता एक सुखद संदेश देती है, लाजवाब अभिव्यक्ति और अति उत्तम लेखन

  2. कवि पाण्डेय जी की श्रेष्ठ और अद्भुत कविता, वाह सर लाजवाब

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