हम तो विद्वतजनों के कायल हैं,
उनकी सच्चाइयां हैं मित्र अपनी,
उनकी अच्छाइयाँ हैं मित्र अपनी,
उनकी वाणी से लाभ पायें सभी,
उनको कोई भी दुख न होवे कभी।
हम तो विद्वतजनों के कायल हैं,
उनकी सच्चाइयां हैं मित्र अपनी,
उनकी अच्छाइयाँ हैं मित्र अपनी,
उनकी वाणी से लाभ पायें सभी,
उनको कोई भी दुख न होवे कभी।