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हर गली रुदन करती है

कितना कष्ट होता है जब
एक सैनिक शहीद होता है ।
पूरा देश रोता है ।
हर गली रुदन करती है ।
एक अशांत-सी पीड़ा
मन में घर करती है ।
रोती है धरती जब
मृत सैनिक को गोद में
लेती है ।
अग्नि भी गर्मी कम करके
शोक प्रकट
करती है ।
जिस जगह से गुजरता है
जनाजा वह
गली रुदन करती है।
माँ की छाती में दूध उतरता है
जब बेटे की अर्थी आती है।
पत्नी छाती पीट पीटकर
बेसुध होती जाती है ।
मेरी कलम रोती है जब
किसी सैनिक के
शहीद होने की खबर पाती है।
उस कोख को क्या कहूँ जो
सीमा पार उजड़ जाती है ।
बाप किस तरह कन्धा
देता है जिसकी
वेदना और
स्थिति पर ‘प्रज्ञा की कलम’
नि:शब्द हो जाती है।

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