बारह बरस की कोमल कली थी,
अपने ही घर पर, पर, अकेली थी।
जाने कहां से आए थे दानव,
दानव ही थे वो, बस दिखते थे मानव।
कोयल सी बोली थी, दिखने में भोली थी,
अपने ही घर पर, पर, अकेली थी।
अपने घर में भी सुरक्षित ना हो तो,
किसका ये दोष है तनिक सोचो तो
क्या दोष है न्याय – प्रणाली का,
मिलती नहीं सज़ा जल्दी से,
हल तो इसका ,खोजना ही होगा
देर ना करनी, बस जल्दी से।