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हाँ

तुम उस दिन जो हाँ कर देते

तो किसी को नया जीवन देते

पर तुम्हारी ज्यादा सतर्क रहने की आदत ने

देखो किसी का मनोबल दबा दिया

कोई पढना चाहता था

तुम्हारी मदत से

आगे बढ़ना चाहता था

पर तुमने अपने बटुए झाँक

उसे नए जीवन से मरहूम किया

फिर वही लौटने को मजबूर किया

जहाँ से वो निकलना चाहता था

कुछ ख्वाब देखे थे

उन्हें पूरा करना चाहता था

पर हाय ,तुमने ये क्या किया

अपना बटुआ दिखा

उसे अपने दर से रुखसत किया …

चलो माना उसकी इसमे कोई चाल हो

तुमसे पैसे ऐंठने का कोई जाल हो

जिस पर शायद वो कुछ दिन

अपना महल खड़ा कर लेता

और दो घडी के लिए

तुम्हारे पैसे पर ऐश कर लेता

पर सोचो वो तुमसे क्या ही ले जाता

पैसा ले जाता, तुम्हारी किस्मत नहीं

तुमको उस ऊपर वाले ने बख्शा

और इस लायक समझा

तभी वो फ़कीर तुम्हारे दर पर

आस लिए आ टपका

ज़रा सोचो, शायद वो सच में ज़रूरत में हो

पर तुमने उस से कहा कि

तुम अभी पैसों की किल्लत में हो

वो पैसे जो शायद तुम्हारे एक

महीने की फ़िज़ूल खर्ची से कम हो

कर के मायूस उसे तुमने

अपना पैसा तो बचा लिया

पर ये क्या,

अख़बारों की सुर्ख़ियों में

उसका ज़िक्र सुन दिल थाम लिया

काश तुम उसकी मदत जो कर पाते

तो उसके जीवन को बचा पाते

जिस से वो निकलना चाहता था

पर यूं नहीं .. ??

वो कुछ करना चाहता था

तुम्हारी ज़रा सी मदत से

आगे बढ़ना चाहता था

पर तुम्हारे ज्यादा सतर्क रहने

की आदत ने

देखो क्या अंजाम दिया

तुम अपना बटुआ झांकते रह गए

और उसने अपने सपने का अंत किया

खैर अब पछताए होत क्या

जब उसका जीवन ही रहा न शेष …

तुम उस दिन जो हाँ कर देते

तो इस पछतावे से खुद को बचा लेते

पैसा जाता तो जाता

तुम उसे फिर कमा लेते

पर किसी के घर का दीपक बुझने

से बचा लेते

तुम उस दिन जो हाँ कर देते

तुम उस दिन जो हाँ कर देते ….

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

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