लिखने को साहित्य अब
होता है मन बेचैन
इस जीवन की व्यस्तता
लेने ना देती चैन,
लेने ना देती चैन
लिखने को व्याकुल है मन
मन के कागज पर
लिखने को आतुर है तन
हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं ??
मानवता का हो कल्याण ऐसे भाव कहां से लाऊं ??
लिखने को साहित्य अब
होता है मन बेचैन
इस जीवन की व्यस्तता
लेने ना देती चैन,
लेने ना देती चैन
लिखने को व्याकुल है मन
मन के कागज पर
लिखने को आतुर है तन
हाय श्याम ! अब ऐसी स्याही कहां से लाऊं ??
मानवता का हो कल्याण ऐसे भाव कहां से लाऊं ??