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हे! बापू आओ

अंग्रेजों के
साहित्य और विचार
हमारे मन मस्तिष्क में बैठे हैं
डेरा डाल
फूट डालो शासन करो नीति जैसे
है हाल
हमारी संस्कृति उपेक्षित है
हम उलझे हैं
अंधे अनुकरण के जाल
हिंदी भाषा शर्माती है
अंग्रेजी मालामाल
अंग्रेजो की हिंसा का जहर फैल रहा ज्यों व्याल
शोषण का पोषण कर दिया है कमाल
वही पेड़ काट रहे बैठे हैं
जिसकी डाल
भेद वाद जारी है
बज रहे हैं ताल
भ्रष्टाचार दंगो के घूमते
दलाल
असहयोग आंदोलन कर रहे
देश के लाल
भारत माता हुई फिर से
बेहाल
अपने ही काट रहे अपनो का
भाल

कैसे सजाए भारत मां की
आरती की
थाल

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