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होली आई है खुशियाँ लेकर

जला दो नफ़रत की होलिका
होली आई है खुशियाँ लेकर।
मिटे अहंकार की सब बोलियाँ
होली आई है खुशियाँ लेकर।।
काले गोरे का भेद मिटाकर
सबको एक रंग में रंग दे।
नशा चढ़े एक प्रेम का सबको
घोंट घोंट घोंटा भंग दे।।
जलनेवाले को जलने दे
बना विनयचंद प्रेम की टोलियाँ
होली आई खुशियाँ लेकर।।

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