होली की धूम मची
कान्हा की खातिर राधा सजी
बैठी नैन बिछाकर
होंठों पर रंग लगाकर
श्याम के रंग में रंग जाऊं
बन जाऊं मैं चाँद
पुष्पों के संग खेलकर
कब आएंगे श्याम ?
कब आएंगे श्याम ?
बैठकर बाट निहारूं
चित खोकर गोपाल
हाय ! तेरी बाट निहारूं
रंग दे ऐसे रंग में
जो ना उतरे जीवनपर्यन्त
अब तो आ जा सांवरे
सब्र का होता अंत…