ज़िन्दगी कोरा कागज़ थी हमारी
तुमने कुछ रंग भर दिए
आये हो तोह रुक जाओ
इतनी जल्दी क्या जाने की
पर रोक तोह हम सकते नही
वरना रब बुरा मान जाएगा
उसे भी तोह अच्छे लोगों की जरूरत है
एक मैं ही महिरूह सा रह गया
रंगों के बौछार के बावजूद
एक मैं ही बेरंग सा रह गया