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ज़िन्दगी ना थी – 11

ज़िन्दगी ना  थी कुछ हमारी,

जैसी तुम्हारी

इस ज़िन्दगी के बाद भी

यूई के बुलंद हौंसलों पे

दुश्मन भी इतराते हैं 

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