Site icon Saavan

ये पानी नहर का गहरा कहाँ है

ये पानी नहर का गहरा कहाँ है
समंदर की तरह ठहरा कहाँ है

छिपा सकते नहीँ हरगिज़ खुदा से
हमारा दूसरा चेहरा कहाँ है

हमारी दोसती बे शक़ है उनसे
ताअल्लुक़ इस क़दर गहरा कहाँ है

चलो माना कि है इन्साफ अंधा
कोई मुंसिफ मगर बहरा कहाँ है

इसी वादी मॆं है ठण्डी हवायें
चमन जैसा है ये सेहरा कहाँ है

तुम्हारे हुस्न का चर्चा है लेकिन
हमारे इश्क का शोहरा कहाँ है

खुशी और ग़म हैं आरिफ धूप छावों
जहाँ भी वो रहे पहरा कहाँ है

आरिफ जाफरी

Exit mobile version