ये पानी नहर का गहरा कहाँ है
ये पानी नहर का गहरा कहाँ है
समंदर की तरह ठहरा कहाँ है
छिपा सकते नहीँ हरगिज़ खुदा से
हमारा दूसरा चेहरा कहाँ है
हमारी दोसती बे शक़ है उनसे
ताअल्लुक़ इस क़दर गहरा कहाँ है
चलो माना कि है इन्साफ अंधा
कोई मुंसिफ मगर बहरा कहाँ है
इसी वादी मॆं है ठण्डी हवायें
चमन जैसा है ये सेहरा कहाँ है
तुम्हारे हुस्न का चर्चा है लेकिन
हमारे इश्क का शोहरा कहाँ है
खुशी और ग़म हैं आरिफ धूप छावों
जहाँ भी वो रहे पहरा कहाँ है
आरिफ जाफरी
Nice
Shukriya aap ka
वाह्ह्ह्ह
Tahe dil se shukriya