जिसकी आँख की सर्दी मुझे माकूल करती है
उसीकी आँख की नर्मी मुझे मकबूल करती है
पता है उसको कि ये मुमकिन नही लेकिन
न जाने क्यो मुझ से वो अभी तक प्यार करती है
जिसकी आँख की सर्दी मुझे माकूल करती है
उसीकी आँख की नर्मी मुझे मकबूल करती है
पता है उसको कि ये मुमकिन नही लेकिन
न जाने क्यो मुझ से वो अभी तक प्यार करती है