Nitesh Chaurasia 7 years ago इन हसरतों के बाजार में खून के रिश्ते भी टूट जाते हैं, सियासत की तंग गलियों में कुछ अपने भी छूट जाते हैं। अहंकार पाले बैठें हैं जो उनको कोई समझाये भी कैसे, जो जरा सी बात पे ही अपने भाई से भी रूठ जाते हैं ।।