Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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मुक्तक
मैं कबतलक तेरा इंतजार करता रहूँ? मैं कबतलक तुम पर ऐतबार करता रहूँ? मुझे खौफ सताता है तेरी बेरुखी का, मैं कबतलक खुद को बेकरार…
मुक्तक
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इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही डाले मुस्किल से बीतते है, ये इंतजार के पल। बेचैन कर के ही माने, इंतजार के पल सुकून को दूर भगाए ,इंतजार के पल पहेली सा मन में जगह बनाए उलझन में डाल देते , ये इंतजार के पल। विश्वास से रिश्ता बनाते,इंतजार के पल हर वक्त बस है आजमाते ,इंतजार के पल एक उम्र संग बहा ले जाए ख्वाबों का जहां बसाए ,ये इंतजार के पल।
इंतजार के पल – उम्मीद की किरण संजोए इंतजार के पल हर लम्हा याद में गुजारे इंतजार के पल कभी हसाए तो कभी रुला ही…
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