Abhishek kumar
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Abhishek kumar commented on the post, “स्वर्णिम नवल वर्ष” 2 weeks, 3 days ago
एक एक शब्द स्वर्ण है भावपूर्ण रचना,
फोटो पर एकदम सटीक बैठती हुई कविता
इसका सिर्फ जिस प्रकार गढ़ा गया है
वह अपने आप में काबिले तारीफ है।
आपने सावन के सभी मापदण्डों को
ध्यान में रखकर तथा हर बारीकी का
ध्यान रखते हुए लिखी है…
नववर्ष की सभी सुंदर कल्पनाएं आपने
अपनी कविता में कर डाली हैं और सुंदर लयात्मकता को प्रमुखता देती हुई रचना प्रस्तुति। -
Abhishek kumar commented on the post, “रावण दहन” 2 months, 3 weeks ago
क्या बात है बहुत ही सुंदर पंक्तियां बहुत ही मजबूत शिल्प है
आपने बात ही अच्छे से विजयादशमी पर अपने भाव प्रस्तुत किए हैं जिसकी सराहना करना मेरे बस की बात नहीं है सभी की रचनाएं बहुत अच्छी हैं आपकी रचनाएं बहुत ही अच्छी है रावण दहन बुराई पर अच्छाई की विजय कहा जाता है पर लोग अपने अंदर की बुराइयों को नहीं पहचानते और ना ही उनको दूर करने की कोशिश करत…[Read more] -
Abhishek kumar commented on the post, वक्ता हूँ 2 months, 3 weeks ago
लाजवाब रचना बेहद खूबसूरत पंक्तियां
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Abhishek kumar commented on the post, अधर्म पे धर्म की विजय 2 months, 3 weeks ago
बहुत ही खूबसूरत
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Abhishek kumar commented on the post, सच्चे मन से 2 months, 3 weeks ago
very nice
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Abhishek kumar commented on the post, हौसला 4 months, 1 week ago
डर कर घबरा कर कोई भी फैसला उचित नहीं होता बल्कि बुद्धि तथा विवेक से किए गए फैसलों पर आगे चलकर पछताना नहीं पड़ता मुस्कुराहट मानसिक तनाव को तो दूर करती ही है साथ में हमारे रिश्तो को भी परिपक्व बनाती है कोरोना जैसी महामारी में कोरोना से मरने वालों की संख्या कम है जबकि इससे घबराकर मानसिक रोग से पीड़ित होने वाले मरीजों की संख्या अधिक है ऐसे…[Read more]
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Abhishek kumar commented on the post, धूप तो रहेगी। 4 months, 1 week ago
बादल जितने भी हो पर धूप तो रहेगी।
अर्थात जिंदगी में चाहे जितने भी दुख हो पर जिंदगी तो रहती है
और उसे जीना भी पड़ता है कोई किसी के मर जाने पर स्वयं उसके लिए नहीं मर जाता
बल्कि जीवन में सुख दुख आते जाते हैं दिन रात के सामान और उन्हें मनुष्य झूलता हुआ संघर्ष करता हुआ आगे बढ़ता है और रिश्ते सिर्फ स्वार्थ के मायने तक ही सीमित रह जाते हैं।…[Read more] -
Abhishek kumar commented on the post, किताबों के दिन !! 4 months, 1 week ago
आपकी रचना पढ़कर मुझे गुलजार साहब की रचना याद आ गई
सही बात है आज के डिजिटल जमाने में किताबें सिर्फ अलमारी में शोभा बढ़ाने की वस्तु ही रह गई हैं
और उनकी पीर को एक कवि ही अनुभव कर सकता है आपकी कविता में किताबों का मानवीकरण बहुत ही सराहनीय है
करूंगी उठूंगी खोलूंगी पढ़ूंगी जा डूंगी ऐसे शब्दों का प्रयोग करके आपने कविता को जीवंत और रोचक बनाया है…[Read more] -
Rishi Kumar and
Abhishek kumar are now friends 4 months, 1 week ago
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Abhishek kumar commented on the post, कल ही लिपटे थे दामन से 5 months ago
The heroine of your poem not only knows how to cry, but is also talking about revenge of her husband’s martyrdom, this shows her not only emotional but also courageous and this is the most important thing….
Awesome poem.. -
vivek singhal and
Abhishek kumar are now friends 5 months ago
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Abhishek kumar commented on the post, कल ही लिपटे थे दामन से 5 months ago
You are a poet of high quality, the way you have sung in your sweet voice, it seems that how simple you are. The subject of your poem is thoughtful and is passionate…
Keep it up..
👍👍🇮🇳🇮🇳 -
Abhishek kumar commented on the post, ओ मैया! मोरी 5 months, 2 weeks ago
अति सुन्दर भावपूर्ण रचना
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Abhishek kumar commented on the post, नई राह देखे पग तेरा 5 months, 2 weeks ago
👏👏
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Abhishek kumar commented on the post, सितम 5 months, 2 weeks ago
👏👏
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Abhishek kumar commented on the post, तुम कर लो लाख कोशिशे हिन्द को बर्बाद करने की । 5 months, 2 weeks ago
👏👏
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Abhishek kumar commented on the post, नारी का अस्तित्व नहीं… 5 months, 2 weeks ago
नारी की महिमा का सुन्दर बखान
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Abhishek kumar commented on the post, ❤❤ मेरा रक्षाबंधन ❤❤ 5 months, 2 weeks ago
अच्छा व्यंग्य किया है
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Abhishek kumar commented on the post, आँखों में पानी लेकर… 5 months, 2 weeks ago
👏👏
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Abhishek kumar commented on the post, इतनी दीवानी 5 months, 2 weeks ago
Nice line
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