Abhishek kumar
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Abhishek kumar commented on the post, अब ना ढूंढना कभी……..!! 2 weeks, 5 days ago
अब ना ढूंढना कभी
मुझे मन के उजालों में
अंधकार की ओर
बस एक कदम बढ़ा लेना
बिखरें हों जहाँ
कंटक बेशुमार
बस वही पर मेरा निशान मिलेगा…नवीन शब्दकोश तथा सुंदर भाव प्रगढ़ता।
जो कवि की साहित्य साधना को प्रदर्शित करता है -
Abhishek kumar commented on the post, •••और रह गया वक्त की खूंटी पर टंगकर” 2 weeks, 5 days ago
क्या बात है कितने आराम से आपने कह दिया
°°°°°°और रह गया वक्त खूंटी पर टांग कर”
यूं लगा के जैसे आप कोई कहानी सुना रही है…
बहुत ही रहस्यत्मक ढ़ग से आपने कविता को लिखा है।
जिंदगी की कई सच्चाईयों को आपने अपनी कविता में जगह दी है। -
Abhishek kumar commented on the post, °°° मैं तुम्हें फिर मिलूंगी….. 2 weeks, 5 days ago
अगर मैं यहां काम किया और अमृता प्रीतम से भी ज्यादा उच्चस्तरीय लगी।
तो कोई समझाना होगा क्योंकि सच बात तो यही है।
कि आपकी कविता अमृता प्रीतम की कविता का
सिर्फ शीर्षक ही नहीं लिए हैं।
बल्कि उसकी आत्मा को अपनी कविता में संजोकर
सुंदर बना रही है जिस की समीक्षा कर पाना बहुत ही मुश्किल है। -
Abhishek kumar commented on the post, चांद की ठंडक, सूरज की गर्मी 2 weeks, 5 days ago
बिरहा की वेदना को आपने अच्छे से व्यक्त किया है।
बड़ा ही मुश्किल होता है
दिल की एक-एक जज्बात को व्यक्त कर पाना ।
मगर आप इसमें महारत हासिल किए हैं।
अगर सही शब्द ना चुने जाए तो कविता स्तरीय हो जाती है।
पर आप बहुत ही सोच समझ कर अपनी कविता के लिए शब्द चुनकर पंक्तियां बनाती हैं।
तथा कम शब्दों में ही अपनी भावनाएं व्यक्त कर देती हैं। -
Abhishek kumar commented on the post, तुम मेरी भावनाओं का अनुवाद हो… 2 weeks, 5 days ago
उच्च कोटि का शीर्षक तथा बहुत ही प्यारी बनके लिखी है।
आपने तुम मेरी भावनाओं का अनुवाद प्रेम को इससे
ज्यादा सुंदर तरीके से व्यक्त किया ही नहीं जा सकता ।
मैं मास्टर साहब की बात से भी सहमत हूं। -
Abhishek kumar commented on the post, खोजता मन है खिलौना ( प्रगतिवाद से अलंकृत) 2 weeks, 5 days ago
खोजता मन है खिलौना
आसमां छत धरा बिछोना
गेहूं की बाली सी कोमल
और स्वर्ण सी जटाएं
बोलती मिश्री हैं मन में
काली-काली ये फिजाएं
धुंध छाए आसमां पर
कौंध बिजली की उठी
लिपटकर स्वर्ण रश्मि से
एक कली मन में खिली
तीक्ष्ण गन्ध से मन हरा
हो गया सुन्दर सलोना
खोजता मन है खिलौना
खोजता मन है खिलौना ।।बहुत ही सुंदर है आप का भाव पक्ष तथा कला पक्ष श…[Read more]
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Abhishek kumar commented on the post, पावस बहती आंखों में….. 2 weeks, 5 days ago
सुंदर भाव अभिव्यक्ति तथा
उच्च कोटि का शिल्प भावनाओं की
कलात्मकता बहुत ही सुंदर है
तथा कविता को जीवंत बनाते हैं ।
हृदय की वेदना को व्यक्त करने के लिए
जो शब्द आपने उपयोग किए हैं वह कविता को सार्थक बनाते हैं। -
Abhishek kumar commented on the post, “गलतफहमियां” 2 weeks, 5 days ago
अपने शब्दों के माध्यम से अपने भावाभिव्यक्ति को
कागज पर ऐसे उकेरा है।
जैसे वह जीवंत हो उठी हो, सुंदर शिल्प, बेहतरीन शिल्प बेहतरीन कथ्य।। -
Abhishek kumar commented on the post, “किसान आन्दोलन” 1 month, 2 weeks ago
अतुलनीय काव्य रचना।
चित्र का सजीव चित्रण।
किसान बिल और उससे प्रभावित अन्नदाता का करुण वर्णन अत्यधिक प्रभावशाली चित्रण। -
Abhishek kumar commented on the post, “स्वर्णिम नवल वर्ष” 3 months, 1 week ago
एक एक शब्द स्वर्ण है भावपूर्ण रचना,
फोटो पर एकदम सटीक बैठती हुई कविता
इसका सिर्फ जिस प्रकार गढ़ा गया है
वह अपने आप में काबिले तारीफ है।
आपने सावन के सभी मापदण्डों को
ध्यान में रखकर तथा हर बारीकी का
ध्यान रखते हुए लिखी है…
नववर्ष की सभी सुंदर कल्पनाएं आपने
अपनी कविता में कर डाली हैं और सुंदर लयात्मकता को प्रमुखता देती हुई रचना प्रस्तुति। -
Abhishek kumar commented on the post, “रावण दहन” 5 months, 2 weeks ago
क्या बात है बहुत ही सुंदर पंक्तियां बहुत ही मजबूत शिल्प है
आपने बात ही अच्छे से विजयादशमी पर अपने भाव प्रस्तुत किए हैं जिसकी सराहना करना मेरे बस की बात नहीं है सभी की रचनाएं बहुत अच्छी हैं आपकी रचनाएं बहुत ही अच्छी है रावण दहन बुराई पर अच्छाई की विजय कहा जाता है पर लोग अपने अंदर की बुराइयों को नहीं पहचानते और ना ही उनको दूर करने की कोशिश करत…[Read more] -
Abhishek kumar commented on the post, वक्ता हूँ 5 months, 2 weeks ago
लाजवाब रचना बेहद खूबसूरत पंक्तियां
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Abhishek kumar commented on the post, अधर्म पे धर्म की विजय 5 months, 2 weeks ago
बहुत ही खूबसूरत
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Abhishek kumar commented on the post, सच्चे मन से 5 months, 2 weeks ago
very nice
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Abhishek kumar commented on the post, हौसला 7 months ago
डर कर घबरा कर कोई भी फैसला उचित नहीं होता बल्कि बुद्धि तथा विवेक से किए गए फैसलों पर आगे चलकर पछताना नहीं पड़ता मुस्कुराहट मानसिक तनाव को तो दूर करती ही है साथ में हमारे रिश्तो को भी परिपक्व बनाती है कोरोना जैसी महामारी में कोरोना से मरने वालों की संख्या कम है जबकि इससे घबराकर मानसिक रोग से पीड़ित होने वाले मरीजों की संख्या अधिक है ऐसे…[Read more]
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Abhishek kumar commented on the post, धूप तो रहेगी। 7 months ago
बादल जितने भी हो पर धूप तो रहेगी।
अर्थात जिंदगी में चाहे जितने भी दुख हो पर जिंदगी तो रहती है
और उसे जीना भी पड़ता है कोई किसी के मर जाने पर स्वयं उसके लिए नहीं मर जाता
बल्कि जीवन में सुख दुख आते जाते हैं दिन रात के सामान और उन्हें मनुष्य झूलता हुआ संघर्ष करता हुआ आगे बढ़ता है और रिश्ते सिर्फ स्वार्थ के मायने तक ही सीमित रह जाते हैं।…[Read more] -
Abhishek kumar commented on the post, किताबों के दिन !! 7 months ago
आपकी रचना पढ़कर मुझे गुलजार साहब की रचना याद आ गई
सही बात है आज के डिजिटल जमाने में किताबें सिर्फ अलमारी में शोभा बढ़ाने की वस्तु ही रह गई हैं
और उनकी पीर को एक कवि ही अनुभव कर सकता है आपकी कविता में किताबों का मानवीकरण बहुत ही सराहनीय है
करूंगी उठूंगी खोलूंगी पढ़ूंगी जा डूंगी ऐसे शब्दों का प्रयोग करके आपने कविता को जीवंत और रोचक बनाया है…[Read more] -
Rishi Kumar and
Abhishek kumar are now friends 7 months ago
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Abhishek kumar commented on the post, कल ही लिपटे थे दामन से 7 months, 4 weeks ago
The heroine of your poem not only knows how to cry, but is also talking about revenge of her husband’s martyrdom, this shows her not only emotional but also courageous and this is the most important thing….
Awesome poem.. -
vivek singhal and
Abhishek kumar are now friends 7 months, 4 weeks ago
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