रेत की तरह
रेत की तरह यू हाथ से छूट रहा है तू
जितना जोड़ लगाओ उतना तेज़ फिसल रहा है तू
याद रख तेरे रब ने कभी तेरा हाथ कभी नहीं छोड़ा हैं
तेरे अपनो ने कभी तुझ पढ़ हौसला न छोड़ा हैं
धुमिल लक्ष की तरफ बढ़ता जा तू
लोग जुड़ते हैं तोह ठीक वरना खुद ही उसके राह चलता जा तू
तेरे अपनो ने कभी तेरे ईमान को टटोला नहीं
तेरी चुप्पी को कभी तेरी कमज़ोरी से जोड़ा नहीं
अपने अंदर के आग को बाहर आने दे
यह जिस्म को तप के लोहा बन जाने दे
Nice
Thanks
Wahhh
Thanks
वाह
Thanks
Thanks
बहुत अच्छा