एक शानदार टिप्पणी करने को जी चाहता है ।

एक शानदार टिप्पणी करने को जी चाहता है ।
आपकी बातों को जिन्दगी में उतारने को जी चाहता है ।
कमबख्त! जिन्दगी किस रूख पे आकर खड़ी है । उसे लौटाने को जी चाहता है ।
किसी की हँसी को मुहब्बत समझा, उसकी परिणाम भुगतने को जी चाहता ।
वह गैर की दुनिया में खुश, हमें भी खुश रहने को जी चाहता है ।
तोड़ के सारे बंधन अब नयी, जिन्दगी जीने को जी चाहता ।
उसे कैसे कहूँ तेरे साथ बिताये ? हर एक लम्हा भुलाने को जी चाहता है ।
तेरे साथ सोचे, अब वो सारे सपने दिल-ही-दिल में दफनाने को जी चहाहता ङै ।
तेरे साथ किये हर वह कसमे-वादें तुझे लौटाने को जी चाहता है ।
तेरे साथ बिताये हर एक लम्हा भुलाने को जी चाहता है ।
तुझे भुलाने को कमबख्त! दिल अब मजबुर नहीं करता ।
तुझे यह मन याद करके हृदय की वेदना को भड़कना चाहता ।
हर वक्त तेरे यादों से मुक्त होने को अब जी चाहता है ।
कमबख्त! अब ये दिल यह मानने को तैयार नहीं होता ।।
 विकास कुमार

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