यदि तेज की तलाश हो तो अपने वीर्य को गंदी जगहों पे निवेश करने के बजाय उसे एक सही दिशा दें तो आप ब्रह्मचारी कहलाने के योग्य होंगे ।। जय श्री राम ।।

संतरूपी कविजन आप हमारी खामियाँ को पढ़कर हमे खूब कोसे खूब परेशान करे, अच्छी बात है लेकिन कोई व्यक्ति इस संसार में किसी भाषा का…

ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं ।

ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो बहसी-दरिन्दें हैं । अगर इसे अभी छोड़ डालोगे. तो आगे इसका परिणाम बुरा भुगतोगे ।। ठहरो-ठहरो इनको रोको, ये तो…

अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने।

अपनी अदा देखाकर हुश्न के बाजार में मेरा भाव लगाया तुमने। मिल गया कोई रईसजादा तो इस मुफलिस गरीब को ठुकराया तुमने।। मेरी मुफलिसी का…

स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे!

स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं कहलाते दहेज रे! माँग की गई वस्तु ही तो कहलाते है दहेज रे! स्वेच्छाकृत प्रदान की गई वस्तु नहीं…

परतंत्रता की बेड़ियाँ जो थी, वो हमारे महान क्रान्तकारी तोड़ गये ।

परतंत्रता की बेड़ियाँ जो थी, वो हमारे महान क्रान्तकारी तोड़ गये । स्वतंत्रता की नीब को जो खाक़ में मिलाना चाहता था, वो खूद ही…

लगाव नहीं जिस देश के युवाओं को राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में ।

लगाव नहीं जिस देश के युवाओं को राजनीति व अर्थशास्त्र के क्षेत्र में । वो कैसे जानेंगे हम किस व्यवस्था में जी रहे हैं और…

हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।

हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है । प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है । हम माया के दासी,…

होते हम खूद ही दुःखों का जनक और मिथ्यारोपन लगाते गैरों पर ।

होते हम खूद ही दुःखों का जनक और मिथ्यारोपन लगाते गैरों पर । अपने व्यवहार प्रतिकूल संबंध बनाते, ये नहीं देख पाते हम । इसलिए…

दुर्जनों को सुख मिलता है सज्जनों को चिढ़ाके ।

दुर्जनों को सुख मिलता है सज्जनों को चिढ़ाके । ये उसके अपने प्राकृत स्वभाव है, बदलते नहीं बदलते है । इन्हें परनिंदा, दुसरों की पीड़ा…

देहिक सुख के कारण मनुष्य आंतरिक शक्ति खोते है ।

देहिक सुख के कारण मनुष्य आंतरिक शक्ति खोते है । ब्रह्मचर्य व्रत को खंडित-खंडित करके अपनी जिज्ञासा पूरी करता है । और भी और भी…

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