अंबे मां जगदंबे मां,
तू है कितनी दयालु मां,
तेरा रुप है कितना निराला मा,
दुखियों के दुख हरने वाली,
सब को सुख तो देने वाली,
तेरी कृपा हम पर बनी रहे,
मेरी यह आरजू है मां,
मैंने नितदिन तेरी आरती करूं,
तेरा ही तेरा ही गुणगान करू,
मैंने तो नितदिन तुझे भोग लगाऊं,
तेरे चरणों में अपना शीश झुकाऊं,
अब कर दो इतना उपकार मां,
खुशियों से भर दो आंगन मेरा,
तेरी पूजा मै करती रहू,
बस इतनी सी दया देदो मा |