गाथा आजादी की
लहू के हरेक बूँद से लिखी हुई कहानी है I मेरे हिन्द की आजादी की गाथा जरा निराली है II विश्वास की नदियाँ यहा, निश्छल सा प्यार था कभी रहते खुशी से सब यहा, न द्वेष लेशमात्र भी कुछ धूर्त आ गए यहा, कपटी दोस्त की तरह इस देश को बेच दिया, हृदय हीन गुलामो की तरह कैद कर दिया हमें अपने ही परिवेश में कुंठित हुआ है जन जन ,देखो आज इस तरह जिस्म पे हुए हरेक जुल्म की निशानी है I मेरे हिन्द की आजादी की गाथा जरा निरा... »