जहां में चाहे गम हो या खुशी क्या
गजल : कुमार अरविन्द जहां में चाहे गम हो या खुशी क्या | मेरे मा – बैन रंजिश दोस्ती क्या | खुदा मुझको यकीं खुद…
गजल : कुमार अरविन्द जहां में चाहे गम हो या खुशी क्या | मेरे मा – बैन रंजिश दोस्ती क्या | खुदा मुझको यकीं खुद…
गजल : कुमार अरविन्द नहीं तकदीर में जो मेरे क्यों फिर जुस्तजू करते | मेरी किस्मत में क्या है वो पता जाकर के यूं करते…
गजल : कुमार अरविन्द मुहब्बत की गली कूचों में क्या है | इधर देखो मेरी आँखों में क्या है | बड़ा ही जोर है उन…
गजल : कुमार अरविन्द चले आओ मेरी आंखों का पानी देखते जाओ | कहानी है तुम्हारी ही , निशानी देखते जाओ | मैं जिन्दा हूं…
गजल वक्त का वक्त क्या है पता कीजिए | बाखुदा हूं ‘ खुदा बाखुदा कीजिए | दर्दे – दिल आज मेरे मुखालिब रहे | सुखनवर…
जख्म दबा – कर मुश्काता हूं | चुप रहकर मैं चिल्लाता हूं | मेरी बातें खुल न जाये | बातों से ‘ मैं बहकाता हूं…
हुआ हूँ ख़ाक यहां रह गया ‘ धुआं मेरा | किसी में दम है तो रोको ये कारवां मेरा | सभी ये कहते है अक्सर…
मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार वो पगली हंसते हंसते रो पड़ेगी ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
मेरा जिक्र उनसे न करना कुमार वो पगली हंसते हंसते रो पड़ेगी ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
जो लगे कब्र पे पत्थर हैं बराबर कर दे ऐ खुदा मेरे बराबर मेरी चादर कर दे ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
ये आप भी देखें है कि बस मुझको भरम है हर शख़्स परेशान है खुलकर नहीं मिलता कुमार अरविन्द ( गोंडा )
आइने में नजर न आयेंगे ऐसे चेहरे बना रहा हूं मैं ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
गजल सबको रस्ता दिखा रहा हूं मैं | साथ ‘ मिट्टी उड़ा रहा हूं मैं | इन दरख्तों में अब भी जिंदा हूं | अपना…
गजल है चाह मिलूं उससे जो अक्सर नहीं मिलता | दीवार घरों में है मगर घर नहीं मिलता | ये आप भी देखें है कि…
तू याद रख सके मुझे जिंदगी भर कुमार आ तुझे कुछ इस तरह मोहब्बत कर लूं ❥ कुमार अरविन्द ( गोंडा )
कफ़न का ही इँतजाम कर दो | दो गज की जमीं नाम कर दो | दफन कर के मुझको जमीं में | मुझे गुल से…
इश्क को माना खुदा है | देख लो क्या क्या सजा है | उन गुलों को क्यूं मसल दूं | जो मेरा भी हमनवा है…
एक दिन आसमां से गुजर जायेंगे | कब्र दर कब्र में हम उतर जायेंगे | आँधियों से ये कह दो रहें होश में | गर…
रोग जाता ही नहीं कितनी दवा ली हमने | माँ के क़दमों में झुके और दुआ ली हमने | इस ज़माने ने सताया भी बहुत…
रोग जाता ही नहीं कितनी दवा ली हमने | माँ के क़दमों में झुके और दुआ ली हमने | इस ज़माने ने सताया भी बहुत…
मुफलिसी जहां की बस मैं जबान रखता हूं | आज हाथ में अपने आसमान रखता हूं | गौर कर जरा बस्ती पे कभी खुदा मेरे…
हर तरफ ही इश्क़ की कलियाँ खिला दी जायेगी | चाँद तारो की शरारत कुछ मिटा दी जायेगी | तुम कहो , तो चाँद –…
गजल पत्थर था मै , मोम बनाकर छोड़ दिया , बदन को मेरे यूँ फूलों सा मरोड़ दिया ! उठता , चलता और फिर गिरता…
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