ये तो वही किसान है
चिड़ियों के चहचहाने से पहले, बैलो के रंभाने से पहले जो जाग जाता है, ये तो वही मेहनत का पुजारी किसान है| अन्न को उपजाने में जिसकी दिन-रात बहती लहू और जिसकी लगती जान है, ये तो वही किसान है | अन्नदाता ही अन्न को आज मोहताज है, जिसके भरोसे कितनों के चुल्हों में आग सुलगते है, और जिसके कारण आज दंभ भरते बड़े साहूकार है , ये तो वही मेहनतकस किसान हैं| कर्ज,तकलीफ और बेरोजगारी ही आज किसान की किस्मत बनी है, घु... »