अंजान सफ़र
मैं अंजान हूँ इस सफ़र में मुझे कुछ नहीं है आता तू ही बता मेरे साथी कैसे बढूँ इस डगर में। चुन ली है राह…
मैं अंजान हूँ इस सफ़र में मुझे कुछ नहीं है आता तू ही बता मेरे साथी कैसे बढूँ इस डगर में। चुन ली है राह…
अलविदा हम उनसे कैसे कहे रूह को जिस्म से अलग होने को कैसे कहें|
फ़क्र है हमें, नाज है हरियाणा की बेटी तू भारत की शान है|
मैं बेटी हूँ….. मैं गुड़िया मिट्टी की हूँ। खामोश सदा मैं रहती हूँ। मैं बेटी हूँ….. मैं धरती माँ की बेटी हूँ। निःश्वास साँस मैं…
मैं इक सदी से बैठी हूं, इस मोड़ पर मगर कोई इंसा इधर से गुजरा नहीं
तेरे साथ जो बीता बचपन कितना सुन्दर जीवन था, ख़ूब लड़ते थे फिर हँसते थे कितना सुन्दर बचपन था, माँ जब तुझको दुलारती मेरा मन…
आज कुछ चाय पे चर्चा हो जाये दिल के राज जो छुपे बैठे है अरसे से उनसे कुछ गुफ़्तगू हो जाये इससे पहले उम्र ए…
मैं अंजान हूँ इस सफ़र में मुझे कुछ नहीं है आता तू ही बता मेरे साथी कैसे बढूँ इस डगर में। चुन ली है राह…
मैं बेटी हूँ फिर भी मैं अकेली हूँ मैं सबकुछ नहीं कर सकती क्योंकि मैं बंधन में बंधी हूँ किसी को मैं पसंद नहीं तो…
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