काश!

कितना अच्छा होता कि कोई वक़्त को टटोल सकता झाँक सकता उसके पिछले हिस्सों में किस्सों में कोई कमी ना रहती सदा के लिए शायद…

याद

था बे हरकत ऐसे मैं कि ज़िंदा लाश हो जैसे , तेरी उन यादों के ख़ब्त से जीना सीख आया हूँ -vijay

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