काश!
कितना अच्छा होता कि
कोई वक़्त को टटोल सकता
झाँक सकता
उसके पिछले हिस्सों में
किस्सों में
कोई कमी ना रहती
सदा के लिए
शायद
अगर ऐसा हो सकता
या यूं कहो
कि बिखरी हुई तस्वीर को
फिर से
जोड़ पाना
मुमकिन हो सकता था
काश
हकीकत जैसी होती है
उसे ज्यों का त्यों
हरेक बयां कर पाता
उसे महसूस कर पाता
कम से कम
अपना पाता
क्यू्ं कई बार
ना चाहते हुए भी
वक़्त से इतना अागे आ जाते हैं
कि वापस जाना
मुमकिन नहीं होता
और अगर कोई
उसी राह पर चल रहा हो
तो क्यूं
उसे रोक नहीं पाते
मानो कि
सदियों से चली आ रही
परंपरा की बेड़ियां
हाथों और जुबां को जकड़े है
क्यूं हर बड़ी खुशी में
उस छोटी सी
सिकन का आना जरूरी है
गर जरूरी नहीं
तो क्यूं आती है वो
बार बार
nice
Nice thought
Good