Nazm

” इंतज़ार ” सोचा भी न था मैंने वो मुलाक़ातें मेरे ख़्वाबों का मुक़द्दर बन जाएँगी उसकी बातें, उसकी यादें मुझे तड़पायेगी उसके नाम मेरी…

जाने मेरा शुमार किन में करे है…. तू महफ़िल में ये हालत देखता नहीं मुझे _________________यावर कफ़ील

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