इम्तिहा

“इम्तिहा” योगेश ध्रुव “भीम” “जिंदगी की डोर खिंचते चल पड़े हम, मंजिल की तलाश पैरो पर छाले पड़े” “बिलखते हुए सवाल लिए पापी पेट का,…

नारी

“नारी” प्रकृति सा कोमल तुम, मेरु समान दृढ़ता लिए, नीर सा निर्मल हो तुम, नारी तुम न हारी हो || अन्धकार की दीपक, निश्च्छलता की…

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