Behisab Abhishek kumar 4 years ago हुनर रखता हूँ दर्द-ए-दिल छिपाने का पर मेरे अरमान मचल रहे है, मेरे अश्क़ो पर बारिश की बूंदे भी अब तो बेअसर से दिख रहे है। उनसे मिलने को अब तो हम उन्ही से फरियाद कर रहे है। देखो!अब तो खतरे के निशान के ऊपर मेरे जज्बात बह रहे है।।