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Jagmagaaya hai jab khushi ka charaagh

जगमगाया  है जब खुशी का चराग़

गुल हुआ बज़्मे  बेबसी का चराग़

 

था कभी वजह रोशनी दिल की

वो अमानत है अब किसी का चराग़

 

कोशिश की हैं बारहा  लेकिन

बुझ गया मेरी आशिकी का चराग़

 

दिन निकलते हि छिप गया होगा

सिर्फ़ साथी थ तीरगी  का चराग़

 

राहते दिल सुकून का हासिल

सब से बढ़कर है  बन्दगी  का चराग़

 

ज़ख्म दिल के उभर गयें आरिफ

जल गया शेरो शायरी का चराग़

 

आरिफ जाफरी..

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