Jagmagaaya hai jab khushi ka charaagh

जगमगाया है जब खुशी का चराग़
गुल हुआ बज़्मे बेबसी का चराग़
था कभी वजह रोशनी दिल की
वो अमानत है अब किसी का चराग़
कोशिश की हैं बारहा लेकिन
बुझ गया मेरी आशिकी का चराग़
दिन निकलते हि छिप गया होगा
सिर्फ़ साथी थ तीरगी का चराग़
राहते दिल सुकून का हासिल
सब से बढ़कर है बन्दगी का चराग़
ज़ख्म दिल के उभर गयें आरिफ
जल गया शेरो शायरी का चराग़
बुझ गया चराग मगर अब क्या
कौन बुझायेगा ये जो दिल में जल रही है आग….nice ghazal Jafri sahab:)
Shukriya aap ka
umda!!
Shukriya aap ka