गांधी नहीं सिर्फ नाम है, वो देश का मान है
नोटों पर देख तस्वीर, ना सोचो खास इंसान है
वो हममें से ही आने वाला बिल्कुल आम इंसान है
सिर्फ और सिर्फ भारत में ही, बसती उनकी जान है
आंख पर चश्मा, हाथ में लाठी, सत्य अहिंसा पहचान है
नायक नहीं वे जननायक, अंग्रेज़ो मे खौफ उनकी पहचान है
हर जन गण में जगाना प्रेरणा, उनकी ताकत का राज है
कठिनाईयों को पीठ नहीं दिखाना, सीखने की जरूरत उनसे आज है
मुख पर राम; दिल में राम, पर सम्मान सभी धर्मो का था
जातिवाद,रंगवाद मिटा, वो नायक बना कर्मो से था
वो था अकेला चल पड़ा तो पीछे, जुड़ता गया इक पूरा रेला था
इक आग उसने जला दी ऐसी, बस हर ओर देशभक्तों का मेला था
उम्र के साथ कमजोर ना पड़कर, रुकना नहीं सिर्फ बढ़ना है
इक ही जीवन देश को अर्पण, करना उनसे सीखना है
सिर्फ शस्त्रो से ही युद्ध का, निर्णय कभी ना होता है
सीखना उनसे सत्य के संग ही, जीवन सत्य होता है
आज पितृ पुरुष वह महानायक, रहता राजघाट समाधि में
गांधीगिरी का घोल दिया रस, देश कि पूरी आबादी में
इनके ऋण से देश कभी , उऋण नहीं हो सकता है
इनके चरणों की धूल से पावन, कुछ भी नहीं हो सकता है