हे युवा! तुम भ्रमित ना होना।

April 22, 2018 in हिन्दी-उर्दू कविता

पथ पर चलना, विचलित न होना
हे युवा! तुम भ्रमित न होना
उषाकाल के संवाहक तुम
सफल राष्ट्र के निर्वाहक तुम
क्षणिक विघ्न से द्रवित न होना
हे युवा! तुम भ्रमित न होना।
★★★★★★★★★★★

प्रखर ज्ञान के आर्य-पुत्र तुम
मानवता के हार-सूत्र तुम
भारत माँ के शीश मुकुट के,
गर्जन करते विभव-रुद्र तुम
प्रगति-पथ पर मिले घाव से,
तुम कभी कुंठित न होना
हे युवा! तुम भ्रमित न होना।
★★★★★★★★★★★★

दिनकर-कलाम के पंकज हो तुम
वीर-प्रताप के वंशज हो तुम
आर्यवर्त के सारथी हो तुम
महाभारत के महारथी हो तुम
घर मे बैठे जयचंदो से,
तुम कभी अनुरंचित ना होना
हे युवा! तुम भ्रमित ना होना।
★★★★★★★★★★★★

उस भाग्य को कभी न चुनना,
जिसके खुद संचालक न तुम
किसी होड़ की डोर न बनना
हे युवा तुम्हे शोर है बनना।
मध्य-सागर की वो शांति न बनना
हे युवा! तुम्हे क्रांति है बनना ।
पथ पर चलना, विचलित ना होना
हे युवा! तुम भ्रमित ना होना।