हाइकु

July 16, 2016 in हाइकु

डूबती नाव
अंबर सागर में
दूज का चाँद।

पिघल-रहा
लावा दिल अंदर
आँखें क्रेटर ।

सिसकी हवा
उड़ चल रे पंछी
नीड़ पराया ।

यादों के मोती
चली पिरोती सुई
हार किसे दूँ।

आसमान ने
डाले तारों के हार
घरों के गले।

चौथ का चाँद
सौत की हंसुली-सा
खुभा दिल में।

गया निगल
एक पे एक गोटी
कैरम बोर्ड।

– Atul