जूनून सा इश्क़

August 28, 2016 in हिन्दी-उर्दू कविता

टिप टिप बरसी पानी की बूंदे

ऐसी आई लिपटी हुई

खुशी की लहर दौड़ाई उन्होंने

प्यार कम हो गया था जिन रिश्तों में

बरसाती लहर और गरजता आसमान

भर सा गया वोह खंडार सा रेगिस्तान

हवा की महक, वोह बारिश की बूँदें

वही मसकती चाय, जो दिल को छु दे

थोड़ा फरमान यहाँ भी दीजिये

खिड़की की ओर ज़रा अपनी नज़र भी कीजिये

जूनून सा इश्क़ ख़तम होने को है

जैसे सूरज की किरणे निकलने को हैँ