majhab

September 7, 2019 in मुक्तक

जहा विधा को उम्मीद समझा जाए
यूवा को देश की नीव समझा जाए
चलो ऐसा एक मजहब बनाया जाए
जहां ईनसान को ईनसान समझा जाए