
Komal Nirala
” मैं तेरे ही पास हूँ…”
December 10, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
इश्क का दरिया हूँ मैं, मैं सागर की प्यास हूँ…
बरसों से लापता है जो, वो तेरी तलाश हूँ…
अंधेरों को रोशन कर दे, वो जीने कि आस हूँ…
मोत को ज़िन्दगी कर दे, मैं तेरी वो सांस हूँ…
दिल कि तेरे धड़कन हूँ मैं, सुकून का एहसास हूँ…
दफन है दिल मे जो तेरे, वो तूफानी राज़ हूँ…
तड़पता है मेरे लिये, सिर्फ इसीलिये उदास हूँ…
बंद आँखों से देख ज़रा, मैं तेरे ही पास हूँ…
“सोचती हूँ, क्या लिखूं…?”
December 8, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
सोचती हूँ, क्या लिखूं…?
कोई ग़ज़ल, या शायरी लिखूं…?
या कोई क़िस्सा लिखूं प्रेम कहानी का..,
जिसमें मैं ख़ुद को “तुम्हारी” लिखूं ।।
दुनिया की आवाज़ों में मैरी एक आवाज़ भी है…
December 4, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
दुनिया की आवाज़ों में मैरी एक आवाज़ भी है…
इसमें मायने हैं कुछ, इसमें कुछ अल्फाज़ भी हैं…
ज़ाहिर से इन क़िस्सों में, छिपी हुई सी ‘आह’ भी है..
फ़िज़ूल वाक़िये हैं कुछ, सुनाने की चाह भी है…
इस दिल मे हुए क़ैद कई भोली आशाऔं के पँछी मगर..,
अरमानो की उडानें भरता ज़िद्दी सा इक बाज़ भी है…
दुनिया की आवाज़ों में मैरी एक आवाज़ भी है…
गेहराई में पलते सपने हैं, ख्वाहिशों की लाश भी है…
मेहेरबानी ख़ुदा की है बहुत, कुछ अनसुने से ‘काश’ भी हैं…
इस शोर में जो सुन सके, हमें ऐसे दिल की तलाश भी है…
रस्ते में दम तोड़ गए अन्जाम थे धोखेबाज़ मगर..,
फिर कहीं ज़िन्दा हुआ एक तूफानी आग़ाज़ भी है…
दुनिया की आवाज़ों में मैरी एक आवाज़ भी है…
तेरी कहानी का तू सिकंदर है।।
November 28, 2015 in हिन्दी-उर्दू कविता
जब चारों ओर कीचड़ दिखा, असमंजस तेरे अंदर है।
नादान बला, आईना वो नहीं, तेरी रूह तो कमल सी सुंदर है।।
दिखा हर तरफ एक धुआँ तुझे, कहीं आग लगी भयंकर है।
जग छान लिया, कुछ मिला नहीं, मुई आग वो तेरे अंदर है।।
मत बुझा उसे, वो भड़कने दे, जैसे आग का समुन्दर है।
अपनी ज़िन्दगी बेफिक्र तू लिख, तेरी कहानी का तू सिकंदर है।।
गर हुआ सामना क़ातिल से, और पड़ते दिल पे खंजर हैं।
कोई रोक सके तो रोके ज़रा, तू भी क्या कम बवंडर है !!