ओ मनमीत मेरे,
मैंने दिल से तुझे पुकारा,
मैं नदिया की धारा,
तुम हो मेरा किनारा,
बिन तेरे जीना मेरा,
होगा नहीं गवारा,
चाहे किस्मत रूठे मुझसे,
या रुठे यह जग सारा,
तुम धूप तो मैं हूं छाया,
तू अंबर तो मैं धरती,
कब तक मिलन होगा हमारा,
अब तक कितने मौसम बीते,
क्या मिलन होगा न ये हमारा,
बीच भंवर में फंसी है मेरी नैया,
तुम आकर कर दो इसे किनारा |