चलो उस पार चलते हैं
जहाँ गमों की धूप नहीं
सुख के ताने बाने है
रजाई में दुबक कर
नींद के आगोश में खोकर
सपने नये सजाने हैं
?? शुभ रात्रि ??
जयहिंद
चलो उस पार चलते हैं
जहाँ गमों की धूप नहीं
सुख के ताने बाने है
रजाई में दुबक कर
नींद के आगोश में खोकर
सपने नये सजाने हैं
?? शुभ रात्रि ??
जयहिंद