साथी तो मेरे वो भी खूब रहे
जो लगातार मेरी तनकीद करते रहे
लेकिन अमल–अंगेज़ तो मेरे वो बखूबी रहे
जो लगातार मुझसे कोई उम्मीद करते रहे।
तनकीद=आलोचना
अमल–अंगेज़ = उत्प्रेरक
साथी तो मेरे वो भी खूब रहे
जो लगातार मेरी तनकीद करते रहे
लेकिन अमल–अंगेज़ तो मेरे वो बखूबी रहे
जो लगातार मुझसे कोई उम्मीद करते रहे।
तनकीद=आलोचना
अमल–अंगेज़ = उत्प्रेरक