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SHAYARI

 

साथी तो मेरे वो भी खूब रहे

जो लगातार मेरी तनकीद करते रहे

लेकिन अमलअंगेज़ तो मेरे वो बखूबी रहे

जो लगातार मुझसे कोई उम्मीद करते रहे।

तनकीद=आलोचना

अमलअंगेज़ = उत्प्रेरक

 

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