तेरी महफ़िल में सनम,
कभी आएंगे न हम,
चाहे तुम कितनी गुजारिश कर लो,
हम न कभी आएंगे सनम,
इस कदर हम इतनी दूर
निकल आए हैं हम,
तेरी महफिल में सनम,
कभी आएंगे न हम,
माना वो वक्त कुछ और था,
अब वो दौर नहीं है सनम,
तब तो तुम्हे मेरी
जरुरत ही न थी,
तेरी उल्फत ने हमें जीना
सीखना ही दिया है सनम,
मेरी दुनिया अब अलग है,
यही दुनिया अब जन्नत है मेरी,
मेरे ख्वाबों में बस तुम नहीं,
कोई और है सनम |