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अफसर बाबू

सरकारी बाबू बनकर है बैठे,
गरिब मजदूर से पैसे हैं ऐंठे ।
नमक हलाल से बचाये भगवान,
अफसर के भेष में है दलाल बैठे।।

✍ महेश गुप्ता जौनपुरी

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