दर्द

मजदूर का दर्द कोई ना जाने बस सब बाते करते हैं वह खाता है सूखी रोटी सब माखौल उड़ाते हैं

मजदूर

मजदूरों की समस्याओं को सिर्फ एक ही व्यक्ति ने समझा है सोनू सूद ने बन फरिश्ता उनको घर पहुंचाया है।

मजदूर

कर दी हैं अब लाल वो राहें भारत माँ के वीरों ने नाप रहे हैं कदम कदम से मीलों दूरी भी तकलीफों से।।

मज़दूर हूँ

प्रस्तुत है हाइकु विधा में कविता:- मजदूर हूँ पैदल चल पड़ा घर की ओर विपदा आयी सबने छोड़ दिया मौत की ओर आशावादी हूँ खुद…

हौसला

हौसला ‘बिन मेहनत के रोटी नही मिलती,गरीब के घर मे खुशियाँ नही सजती। हौसलों के पंख से उड़ान कितनी भी भर लो,पर पेट की भूख…

कड़वाहट

कड़वाहट दुनिया मे जो है कड़वाहट वह मिर्च पर भारी है, मेरे जीने का हुनर मेरी मौत पर अब भारी है।  दिन भर मजदूरी करके…

दलित

इस आजाद भारत में आज भी मेरी वही दशा है. छुआ – छूत का फंदा आज भी मेरे गले में यूहीं फंसा है. मै हूँ…

Mera Sauk nahi hai majduri

मेरा शौक नहीं है मजदूरी , बस हालात की है मजबूरी, चाहे हो चिलचिलाती धूप , चाहे हो कड़ाके की ठंड , चाहे हो सावन…

” मजदूर “

अपनी सांसों में उर्जा भरकर निर्माण जो करता नवयुग का औंरों को सुख-सुविधा देकर करे सामना हर दुख का जो रूके अगर, रूक जाए दुनिया…

Civil engineer

Being a civil engineer,for all civil engineers…hahahaha.. गुजारी है ज़िन्दगी मैंने , सीमेंट और रेत मिलाने में कैसे भला कोई इश्क़ करे, हम मजदूरों के…

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