मजदूर हूं साहब
मैं मजदूर हूं साहब यह सौभाग्य है मेरा, देश के लिए करना मजदूरी काम है मेरा। करते करते मजदूरी देश को समृध्द बनाऊंगा, आन बान शान का लाज रखना काम है मेरा।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
मैं मजदूर हूं साहब यह सौभाग्य है मेरा, देश के लिए करना मजदूरी काम है मेरा। करते करते मजदूरी देश को समृध्द बनाऊंगा, आन बान शान का लाज रखना काम है मेरा।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
मजदूर ही राष्ट्र का निर्माता, इनको हम क्यों भूल गये । चन्द रूपये पाकर हम, इनको हम क्यो अलग किये।। »
हमें गर्व है तुम पर, मेरे मित्र मजदूर । किस्मत को मत कोसों, हम है बहुत मजबूर।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
दो जून की रोटी कमाने निकला था ंमजदूर घर वापस आया तो दर्द के सिवा कुछ नहीं था । »
चादर बांट हौसले मुझे नहीं तोड़ना, मजदूर भाई मुझे तुम्हारा राह नहीं मोड़ना। तुम्हारे हक का हम दे सकें मेहनताना, बड़े बनकर तुम्हारा हक मुझे नहीं है छिनना।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
इस संसार में ना जाने कितने चेहरे है, जिम्मेदारीयों पर बहुत सारे पहरे है। मजदूर परेशान क्यो है जान तो लिजिए, उसके किस्मत पर ना जाने कितने लहरें है।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
कविदीप लिखों एक ऐंसा संदेश, जो मजदूरों का हक करें अदा । खून पसीने का सही मुल्य मिले, आपके लेखनी को पढ़ मजदूर हो फिदा।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी »
मजदूर है जीता शान से, देख खुशी तिलमिलाए अमीर। मजदूरी करके चैन से सोता खाट पर, मखमल का बिस्तर आराम ना दें शरीर को।। महेश गुप्ता जौनपुरी »
लिख कवि लिख कवि लिख भावनाओं में बहकर लिख खुशीयों में फूदक कर लिख दर्द आह महसूस कर लिख तन्हाई को साथी बनाकर लिख लिख कवि लिख अफसर का रौब लिख नेता की बेईमानी लिख भ्रष्टाचार की परछाई लिख दुनिया के चापलूसी को लिख लिख कवि लिख गरिबों का भूख लिख नंगे पांव का छाला लिख बेरोजगारों का ताना-बाना लिख दिन दुखियों के मन का पीड़ा लिख लिख कवि लिख अमीरों का निकला पेट लिख छल कपट का राजनिति लिख मजदूरों का खून पसीना लि... »
एक तरफ मजदूर परेशान दूजी ओर किसान फिर सब कहते हैं देखो मेरा देश महान »
जेष्ठ की तपती धूप में, एक माँ अपने छह महीने के बेटे को अपनी पीठ में बांध कर मजदूरी कर रही थी। बच्चा भूख व गर्मी से तड़प रहा था। वह जोर जोर से चिल्ला रहा था। वहाँ के मुंशी जी का कहना था कि,कोई मजदूर मेरे मौजूदगी में अगर बैठा पाया गया तो ,उसकी उस दिन की हाजरी काट दिया जाएगा। यही सोच कर माँ अपने बच्चे को दूध पिलाने में असमर्थ थी। वह बच्चा रो रो कर व्याकुल था। बच्चे की तड़प और पसीने से भीगी दुखियारी म... »
भोजपुरी गीत- फिर उहे दिनवा | फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही | रोवत चिरइया कबों चहकीहे की नाही | फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही | छाईल बा सगरो कोरोनवा के कहरिया | बंद भइले माल सगरो बंद बा बज़रिआ | बगिया बहार कली चटकीहे की नाही | फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही | भागी पराई लोगवा घरवा लुकाईले | रोजी रोजगार शहरवा बन हो गईले | गोरी गजरा फूल महकिहे की नाही | फिर उहे दिनवा लउटिहे की नाही | भईले मजबूर मजदूर चले प... »
सोचा था जो वो पुरा ना हो सका बदलते हालात को देख मैं अपना ना हो सका आंखों के आंसूओं को मैं अपने पोंछ ना सका टुटते बिखरते देखता रहा मैं कुछ कर ना सका सोचा था जो वो मेरा सपना पुरा ना हो सका बदलते काल चक्र में मैं किसी का ना हो सका रिस्तें पर दाग लगाकर मैं खुद का ना हो सका ख्वाहिशों को मैं अपने रूसवा मैं कर ना सका सोचा था जो वो मेरा सपना पुरा ना हो सका अरमानों को मैं ढ़ोता रहा उड़ान दे ना सका अपने अन... »
कर सकें तो मदद करें मजदूर पर राजनिति नहीं आये दिन देखने को मिल रहा है सभी राजनीति पार्टियां मजदूरों पर राजनीति करने के लिए सोशल मीडिया पर एंव टीवी चैनलों पर तेजी से जुटे हुए है। मैं जानना चाहता हूं कि आखिर यह कहां तक सही है राजनीति पार्टीयों का कहना है कि हमारे ध्दारा मजदूरों के हित में तमाम प्रकार की सुविधाओं पर कार्य किया जा रहा है। भूखे को भोजन प्यासे को पानी एवं पैदल मजदूरों के लिए साधन का व्य... »
मजदूर हू मजबूर नहीं तेरे जैसे वीडियो के सामने मदद लेने से इनकार करता हू लाखों दूर घर की और सफर करता हूँ बिना किसी मदद के पैदल किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया कभी कारखाने बंद बाजार बंद भूख है की कोई लॉकडाउन नहीं मानती पोलिस के डंडे खाकर भी हम कोई काम की आशा में निकलते है भीख नहीं मांगते भीख नहीं मांगते तुम्हें टिक टॉक और फेसबुक से फुरसत हो तोह कभी हमारे लिए सोचना बस स्वाभिमान से भरे किसी काम से हो सके ... »
“गाँव याद आये” ************** हमें क्या पता आज,ये दिन देखना पड़ेगा | न जाने कैसी मजाक,आज तूने किया है || हँसते हुए निकले घर से,भूख मिटाने सभी | गाँव घर ये आँगन,छोड़ चार पैसा कमाने || दूर तलक परदेश,सभी हर कोने-कोने गए | खेत खलिहान ले याद,बूढ़ी अम्मा की प्यार | काम की धुन काम करता,कोई चलता गया | मजबूरी मे हमें आज,मजदूरी दूर करना पड़ा || घोर अंधियारा छाए,ये काली रात आज कैसी | पसंद न आए तुझे ह... »
लाॅकडाउन बढ़ाते रहो अध्यादेश लगाते रहो आखिर जो आप मंत्री ठहरे। मजदूरों को भगाते रहो शराबियों को अजमाते रहो आखिर जो आप मंत्री ठहरे।। »
ओ बीते दिन ये उन दिनों की बात है,जब बेरोजगारी का आलम पूरे तन मन मे माधव के दीमक में घोर कर गया था,घर की परिस्थिति भी उतना अच्छा नही था कि वे निठल्ला घूम सके……. …क्योंकि बाबू जी कृषि मजदूरी करके पूरे परिवार का भरण पोषण कर अपने फर्ज को निभा रहे थे । और इधर माधव गाँव मे ही रह कर पढ़ाई के साथ-साथ अपने माँ के साथ घर के हर कामो में हाथ बटाते.और इसी तरह उन्होंने हायर सेकेंडरी स्तर तक कि ... »
मजदूर हूँ मैं मजबूर नहीं। नहीं कभी चिंता अपन रोटी की सबका घर मैं भरना चाहूँ। चिलचिलाती धूपों ने जलाया, कभी बारिश के पानी ने भींगाया। कपकपाती ठंढी से भी लड़ना चाहूँ।। क्योंकि मजदूर हूँ मैं।। किसानी से कारखाना तक अपनी सेवा का क्षेत्र बड़ा है। अपने हीं दम पर तो व्यापारियों का व्यापार खड़ा है।। कर्तव्य बोध के कारण अपनों से दूर हूँ मैं।। सेवा धर्म है अपना क्योंकि मैं मानव हूँ। सेवा के हीं खातिर कष्ट उठ... »
मुझमे थोड़ी सी अच्छाई, शायद बाकी है इस लिए ठोकरे राहों में बेसुमार है मुझमे तेरी पड़छआई शायद बाकी है की आज भी टिका हुआ हूं जीवन के इस चक्रव्यू फसते जा रहा हूँ कौन दोस्त और कौन शत्रु में भौचक्का सा हो रहा हु उम्मीद की लौ धुमिल सी दिख रही है ज़िंदा हु क्यों की तेरे साथ होने पे ऐतबार है राजनीति आफिस की रास ना आती हम मज़दूर है सतत संग्राम ही हम को भाती »
हौसला ‘बिन मेहनत के रोटी नही मिलती,गरीब के घर मे खुशियाँ नही सजती। हौसलों के पंख से उड़ान कितनी भी भर लो,पर पेट की भूख नही मिटती। फौलादी इरादों से साँसो का दामन थाम रखा है,वरना यहाँ मौत भी आसान नही मिलती। सुना है सारा संसार रंगोत्सव मना रहा है,पर यहाँ कोरी किस्मते कहाँ रंगती। जद्दोजहद है जिन्दगी मे कि किसी दिन सुकून मिलेगा,उसी दिन सतरंगी यह चेहरा भी सजेगा। मजबूरी मे मजदूरी कर मजबूरी से नि... »
कड़वाहट दुनिया मे जो है कड़वाहट वह मिर्च पर भारी है, मेरे जीने का हुनर मेरी मौत पर अब भारी है। दिन भर मजदूरी करके अपना परिवार पालता हूँ, इस तरह आराम पर मेरी मेहनत बहुत भारी है। सुख की अनुभूति हो इतनी कभी फुरसत ही नही मिलती, सुकून नही मिलता क्योंकि मुझ पर जिम्मेदारियां बहत भारी है। मुझे आराम के लिए घर या मुलायम बिस्तर नही चाहिये, तुम्हारे चैन,सुकून पर मेरी बेपरवाह नींद बहुत भारी है। उम्र है ढ़ला... »
मेरे घर के सामने मजदूरो का जमावड़ा लगा था ईंटो का ढेर बड़ा था शायद कोई बंगला बन रहा था. कोई मजदूर ईंटे ढो रहा था कोई दीवार चिन रहा था हर मजदूर काम मे लगा था बच्चों की कोई परवाह नहीं कर रहा था. हम अपने बच्चों को धूल भी नहीं लगने देते है और मजदूरो के बच्चे देखो किस तरहा मिटटी मे लेटे है. मिटटी उड़ा उड़ा कर खेल रहे है मजदूरों के बच्चे सब अपने कर्मो का खाते ये कहते है हम वचन सच्चे गाढ़ा पसीना बहाया अपने पर... »
इस आजाद भारत में आज भी मेरी वही दशा है. छुआ – छूत का फंदा आज भी मेरे गले में यूहीं फंसा है. मै हूँ दलित गरीब भेदभाव का शिकंजा मेरे पैरो में कसा है. मै तिल तिल कर जी रहा समाज मेरे बुरे हाल पर हंस रहा है. ये मत भूलो, जिस घर में तुम हो रहते वो मेरी दिहाड़ी मजदूरी से ही बना है. फसल उपजाऊ सबकी भूख मिटाऊँ पर खुद भूख से मै ही लड़ता हूँ. साथ चलने का हक़ भी मै ना पाऊं पर सबके उठने से पहले सड़के साफ मै ही... »
उठी है एक आवाज, सत्ता को पलटने के लिए, जागी है एक भावना,जन जन की चेतना के लिए, गूंजी है एक पुकार,कुछ बदलने के लिए, अब समाप्त करनी है लोगों में फैली जो है भ्रांति, समय आ गया है अब जन्मेगी एक क्रांति, आगाज़ करता हुआ एक विगुल कह रहा, डरो ना आंधी पानी में, हर फिजा खुल कर सांस लेगी अब इस कहानी में, मजदूरों और मेहनतकशों के इम्तिहानों की, अब लाल सलाम करती हुई उठेगी एक क्रांति हम जवानों की, हुई थी क्रांति... »
इज्जत इज्जत के बचावे खातिर मालिक घर को तोडे या जोडे। मालिक अपनी सुझ बुझ से घर वाले को सडक पर कर सकता है । मैं मालिक हूॅ अपने घर का मेरे लिए कोई कानुन नही। मेहमान का इज्जत करने के लिए मालिक कर्म धर्म से जुटता है। सही गलत का पहचान करके घर की इज्जत को समेटता है। भष्टाचार मंहगाई की चादर को ओढकर घर का मालिक बीताता है। मेहनत मजदूरी करके मालिक घर के इज्जत को परदे तले रखता है । मेरे दिल को ना तोडो परिवार ... »
मेरा शौक नहीं है मजदूरी , बस हालात की है मजबूरी, चाहे हो चिलचिलाती धूप , चाहे हो कड़ाके की ठंड , चाहे हो सावन की बरसात, आप बैठे थे एसी कूलर में, हम कर रहे थे मजदूरी , मेरा शौक नहीं है मजदूरी, बस हालात की है मजबूरी, रहने को अपना घर नहीं, हम महल बना कर देते हैं, बस इतनी सी इच्छा रखते हैं | मेरे बच्चे ना रहे भूखे उनके भी अरमान कुछ पूरे हो तालीम पा सके आप की तरह है फटे कपड़े तन पर मेरे पर खुशियों की च... »
किसान हाँ मैं ही हूँ किसान साहब जो खोतो में काम करता हैं बैल को भाई मानता खेत को धरती माता हल को पालन हार मानता जीवन को खेत में निकाल देता शहर से कोशो दुर हूँ मैं खेत में मैं लीन हूँ आपके जैसी शान नहीं हैं मेरी फिर भी तुम कर्जदार हो मेरे चुभन होती हैं साहब मुझको भी जब कोई मजदूर बोलता हैं मजदूर नहीं हूँ मैं किसान हूँ देश का प्रधान सेवक हूँ मुझे नहीं आती चापलुसी नहीं मिलती खबर अखबार की खेतो में लगा ... »
“हम खुद काम जल्दी कराने के लिये रिश्वत देते है फिर देश मे भ्रष्टाचार बहुत है ये सोच कर हमे बुरा क्यो लगता है…………. हम होटलो मे बढी ही शानसे छुटु को आवाज़ देते है फिर बाल मजदूरी की बात करते समय हमे बुरा क्यो लगता है…………. हमने कभी अपने एरिया , मोहल्ले,कॉलोनी की सफाई के बारे मे नही सोचा तो स्वछता रॅंकिंग मे हमारा शहर पीछे है ये जानकर हमे बुरा क्... »
गम और तन्हाई का साथ नहीं मजबूरी हैं साहिब ये और कुछ नहीं इश्क में मिली मजदूरी हैं साहिब….!! -देव कुमार »
सुनी सुनी सी बात लगे इस बस्ती में, कुछ तो है जो ख़ास लगे इस बस्ती में, कभी सोंच आज़ाद लगे इस बस्ती में, कभी हालत नासाज़ लगे इस बस्ती में, मालिक ही का राज चले इस बस्ती में, बाकी सब लाचार बचे इस बस्ती में, पैसों की ही बात रखे इस बस्ती में, अब कोई दिल न साफ़ रखे इस बस्ती में, आँखों में ही ख्वाब सजे इस बस्ती में, दिल के कितने राज़ दबे इस बस्ती में, कहने को कुछ यार बचे इस बस्ती में, अब मजदूर कुछ दो चार बचे ... »
******************** अपनी सांसों में उर्जा भरकर निर्माण जो करता नवयुग का औरों को सुख-सुविधा देकर करे सामना हर दुख का जो रूके अगर, रूक जाए दुनियां सारे जग का रीढ़ वही जोश, लगन, संकल्प है जिनमें फुरसत में आराम नहीं हिम्मत जिनकी शान है यारों मेहनत जिनकी है पूजा कर्तव्य निभाना लक्ष्य है जिनका मजदूर है वो, कोई और न दूजा ************************* »
अपनी सांसों में उर्जा भरकर निर्माण जो करता नवयुग का औंरों को सुख-सुविधा देकर करे सामना हर दुख का जो रूके अगर, रूक जाए दुनिया सारे जग का रीढ़ वही जोश, लगन, संकल्प है जिनमें फुरसत में आराम नहीं हिम्मत जिनकी शान है यारों मेहनत जिनकी है पूजा कर्तव्य निभाना लक्ष्य है जिनका मजदूर है वो, कोई और न दूजा »
Being a civil engineer,for all civil engineers…hahahaha.. गुजारी है ज़िन्दगी मैंने , सीमेंट और रेत मिलाने में कैसे भला कोई इश्क़ करे, हम मजदूरों के घराने में अब खुद के सपनों का घर बसाने की हम क्या सोचें उम्र कट रही है पूरी, दूसरों का मकाँ बनाने में Only for fun…?? »
सच्ची राह पे अगर तेरा एक कदम भी नेकी से पड़ा है। तो अगले ही कदम पे तेरा रब तेरे साथ में खड़ा है। उसकी फिक्र का दिखावा करने वाले तो गुम हो गये लेकिन सच्ची फिक्र वाला अभी भी उसके साथ में खड़ा है। ऩफरत के जबरदस्त हमलों से भी वो कभी न हुआ जो कमयाब असर अब प्रेम के अधभुत बाण से पड़ा है। वो जिंदगी में सकून कभी किस तरह कमा सकता है हमेशा से ही लालच का सिक्का जिसके मन में जड़ा है। ... »