अब ना गाऊंगा

अब ना गाऊंगा गित तेरे यादो की.
अब ना चाहुंगा प्रित तेरे सांसो की.
कुछ थमा तुम्हारे हमारे बिच यादो का गुलिस्ता.
जो हमसफर रुठ चुका हमारे घर से.
जो चूक चुका महफिल की रंजोगम से.
फिर गित ना गा पाऊंगा.
महबूब तुझे गुनगुना ना पाऊंगा.
- अवधेश कुमार राय “अवध”
nice
Thanks
वाह बहुत सुंदर
Nice