आती नही हैं नींद

आती नहीं है नींद क्यों रातों में आजकल।
तस्वीर बन रही है एक आँखों में आजकल।
फूलों से दोस्तीदोस्ती है या उल्फत का असर है।
शोखी घुली है उसकी बातों में आजकल।
कुछ दिल से हो रही है क्यों महकी हुई फ़िज़ा।
मेहंदी रचा रही है वो हाथो पे आजकल।
#कुलदीप अनजाना
Bahut achi kavita
Bahut Hi kam lag likhte he esi kavita aajkal …. Behatreen kavita 🙂
बहुत शुक्रिया
बेहतरीन दोस्त,,,,
bahut hi acha likha he aapne…great
Good
वाह बहुत सुंदर
बहुत ही सुंदर