आपकी बहुत याद है आती
आपकी बहुत याद है आती
आपकी बहुत याद आती है ,
साथ आपका ,बातें आपकी,मुस्कान हो या चाहत आपकी,
सब दिल में है, कुछ कहती और चली जाती ,
शायद इसे आपकी बहुत याद है आती,
बोले अलफाज़ और बीतें हर साज़ मेरा पास है जैसे साथी ,
न जाने क्यों हर दम-हर वक़्त मुझसे बहुत कुछ ये बातें कहे जाती,
मन में है सवाल कही ,उसके जवाब ढूंढे कहा ऐ जनाब बन साथी,
कहु खुदसे बस यही कि दिल में आपकी बहुत याद है आती,
ढूंढा कहा नही आपको मैंने ,पाया खुद में ही ऐ साथी ,
जैसे जलती मेरे-आपके बीच कोई दीपक बन बाती ,
आस्मां में अँधेरा कहा तारों का है सहारा देख पंथी ,
आँखो में है राहें कही ,पर ढूंढो में रास्तें अनकहे पहुंचे आप तक ऐ हमराही,
देख ले खुद में मुझको कही ,
में तो कहता हु खुद से बस यही, की बस आपकी बहुत याद है आती,
आपकी बहुत याद है आती।
निशित लोढ़ा
KAVISHAYARI.BLOGSPOT.IN
nice poem 🙂